मनुष्य की पहचान

10:37 AM

मनुष्य की पहचान


मनुष्य कहता है कि मै सबको जानता हू पर नादान परिन्दे ना तू खुद को जानता ओर ना खुदा को
स्वयं श्री ज्ञानावतार परब्रहम पूरण पुरूष जो की सर्व अंर्तयामि है जो सभी कुछ को जानने वाले पालने वाले ओर खुद मे ही लय करने वाले है मै उनको असंख्य कोटि नमन करता हु !



 उस दयानिधि परमात्मा का ही अंश जीवात्मा है वह परमात्मा के समान ही शक्तिमान है पर जब ये जीवात्मा पंच महाभूतो माया मोह विषय विकार के सम्पर्क मे आकर खुद के सवरूप को भूलकर खुद को शरीर समझ बैठा ओर उसी के हिसाब से वो सभी कर्म करता है ओर अपने अंधाकार ओर अज्ञान को बढ़ाता रहता है पंच महाभूतो के शरीर से मोह माया बढ़ाता है जिसका आत्मा के बिना कोई अस्तित्व नही है ओर ना ही ये शरीर आत्मा के बिना कुछ कर सकता है पर जीव कभी इस आत्मा ओर इसकी चेतन शक्ति या आत्मा को प्रकट करने वाले परमात्मा को जानने की कोशिश नही करता पर उस परमात्मा के द्वारा दि गई साँसों की पूँजी  व समय को विषय वासना मे समाप्त कर रहे ओर शरीर को महत्व दे रहे किसी नाम ओर प्रसिद्ध शरीर चाहे वो डाक्टर हो पुलिस वाला हो नेता अभिनेता हो या अमीर हो राजा हो या कोई अन्य व्यक्तित्व हो हम लोग उससे पहचान बनाने के लिये डोलते रहते है। 
ओर अगर हमारी किसी से पहचान है भी तो हम समाज के लोगो के सामने अपनी हैसियत दिखाते फिरते है कि हमारी कितने बड़े बड़े आदमियों से पहचान है मुझे सभी जानते है ओर मेरी बहुत चलती है मै अपनी पहचान के बल पे क्या क्या कर सकता हू ओर सदा उस झूठी ओर नशवर पहचान पर गर्व से फूला रहता है ओर अगर कोई दूसरा आदमी जिसके सामने तुम उसका ज़िक्र करते है उसको कोई काम पडता है ओर वो तुम्हे कह देता है कि भाई तेरी बहुत जान पहचान है तु उनसे कह कर हमारा काम करा दे तो एक दम बिना सोचे बोल देते है कि भाई मै तेरे काम के लिये कह तो दूँगा पर आज कल कोई काम करता सब नक़ली है कोई किसी का नही है वो या तो उस आदमी का काम करता है जो उसका क़तई क़तई ख़ास हो या फिर पैसा लेकर काम करता है तुम्हारे मुख से ऐसी बात सुनकर अगला अपने आप ही मना कर देता है कि भाई रहने देना मेरा तो बजट नंही है पर तुमने कभी सोचा कि तुमने जो झूठी पहचान बनाई वो किस काम कि है तुमने बिना उससे बात करके अपने पास से ही झूठ बोल दिया ओर उस आदमी की नज़र मे अपनी पहचान को गलत साबित कर दिया तो क्या फ़ायदा ऐसा पहचान का जो किसी काम की नही हो ये तो वही बात हुई कि बड़े हुये तो 

क्या हुये जैसे पेड़ खजूर 

पंछी को छाया नही फल लागे अति दूर


हम अपना पूरा जीवन तन मन धन समय ऐसे प्रसिद्ध लोगो से पहचान बनाने मे गँवा देते है ओर अंत मे हमारे पास कुछ भी नंही होता ओर जीवन पूरणता नष्ट हो जाता है ना कभी आत्म ज्ञान को प्राप्त होते है ना कभी ये जान पाते है कि ग़म आत्मा है ओर परमात्मा की संतान है ओर परमात्मा के सक्षम ही है अगर हम खुद को ओर अपनी खुदी को जान से तो सबकी मदद करने मे स़क्षम हो जाये ओर जीव को झूठी दिलाया नही देकर सच्ची सरकार परमात्मा से मिलवा दे उसके बाद जीव की ना तो कोई इच्छा शेष रहेगी ओर ना बन्धन ही रहेगा जिसके कारण उसको संकोच करना पडे इसलिये हे मनुष्य तु जाग जा ओर ऊँचे प्रसिद्ध आदमियों से पहचान के चक्कर मे मत पड ओर अगर संयोग से पहचान हो भी गई है तो घमंड मत कर ओर उससे धयान हटाकर पहले खुद से पहचान कर ओर सँसार की सबसे बडी शक्ति परमात्मा से पहचान कर अगर उससे पहचान हो गई तो तुम्हे किसी की ज़रूरत नही होगी लोगो तो तुम्हारी ज़रूरत होगी सोच ओर कर्म तुम्हारे है कि तुम खुद को किस ओर ले जाते हो तुम जिस तरफ़ जाकर जिस तरह के काम करोगे परमात्मा तुम्हे उसी के अनुरूप फल देगा मेरी समझ से तो सदगुरू ये पहचान ओर प्रीत करो जिससे वो तुम्हे तुमहारी खुदी से मिलाकर तुम्हे खुदा से मिला दे ओर तेरा उदधार कर दे बाकि तुम अपनी मर्ज़ी के कार्य करने के लिये स्वतंत्र हो जैसा करोगे वैसा ही पाओगे ओर फिर कोई चाहकर भी सहायता नही कर सकेगा परमात्मा तुम्हारा भलाकरने .......

-प्रवीनभक्तजी वजीराबाद

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