टामस ऐल्वा एडिसन : व्यक्ति जिसने हमे प्रकाश दिया।

2:30 AM


जब तुम रात को पढ्ना चाहते हो, तब तुम केवल एक बटन दबा देते हो और बिजली का बल्ब तुम्हे प्रकाश देता है | क्या तुम जानते हो कि बिजली के बल्ब का आविष्कार किसने किया ? वह एक अमेरिकी था, जिसका नाम थामस एल्वा एडिसन (Thomas Alva Edison )था |
 

अपने बचपन मे ही एडिसन को प्रयोग करना प्रिय था | उसे प्रश्न पूछ्ने का शोक था और जब तक उसे उचित उत्तर नही मिल जाता था , वह संतुष्ट नही होता था| उसके बचपन की बहुत-सी कहाँनिया है और उनमे से कुछ यहा दी गई है |

बचपन मे,  जब वह छोटा था व स्कूल मे पढता था , एक दिन उसकी अध्यापिका पक्षियो के विषय मे बच्चो को एक कहनी सुना रही थी | वह खडा हो गया और अपनी अध्यापिका से पूछा , “ महोदया , मनुष्य पक्षी की तरह हवा मे क्यो नही उड सकता ?”

अध्यापिका ने उत्तर दिया, “क्योकि मनुष्य के पंख नही होते |”

छोटे बच्चे ने कुछ समय तक विचार किया और उनसे पुन: प्रश्न पूछा, “किंतु पतंगो के पंख नही होते है, और फिर भी हम उन्हे हवा मे उडा सकते है |”

अन्य सभी बच्चे हंस पडे और अध्यापिका अपना धर्य खो बैठी | उसने विचार किया कि लडका मूर्ख और शैतान है और उसने लडके के माता-पिता से उसे स्कूल से ले जाने के लिए कहा | उसके माता-पिता उसे घर ले गए , किंतु वे जानते थे कि लडका मुर्ख नही है | जिस समय यह घटना हुई उस समय एडिसन मात्र आठ वर्ष का था |

बालक एडिसन को अपनी माता सर्वश्रेष्ठ अध्यापिका लगी | वह उसके सभी प्रश्नो का उत्तर धैर्य पूर्वक दिया करती थी और उसकी सहायता तथा पथ-प्रदर्शन मे उसने अच्छी उन्नति की | वह वस्तुओ का निरीक्षण बहुत ध्यान पूर्ण करता था और बहुत से प्रयोग किया करता था | उसके प्रयोगो मे से कुछ मुर्खतापूर्ण भी होते थे, किंतु उसने उनसे बहुत कुछ सिखा था |

एक दिन प्रात: वह एक चिडिया को ध्यानपूर्वक देख रहा था | वह उड्कर प्रथ्वि पर आई, उसने अपनी चोच मे कुछ कीडे पकड लिए और उड्कर चली गई | इससे बालक एडिसन को एक विचार सूझा,”यह चिडिया उड सकती है क्योकि यह कीडे खाती है |” उसने अपने मन मे सोचा,”मनुष्य भी उड सकता है यदि वह कीडे खाये|” वह किसी व्यक्ति पर प्रयोग करना चाहता था | उसने कुछ कीडो को पकडा, उन्हे पीटकर लुगदी बनाई और उस लुगदी को पानी मे मिला दिया | वह इस मिश्रण को एक लडकी (नौकरानी) के पास ले गया और उसने कहा,”वह एक आश्चर्यजनक मिश्रण है | यदि तुम इसे पी लोगी, तो तुम पक्षी की तरह उडने लगोगी | आओ! इसे पियो और देखो|”
 

बेचारी लडकी ने एडिसन पर विश्वास कर लिया और उस मिश्रण को पी लिया | हॉ वह उड़ तो नही सकी, पर बीमार पड गई | बालक एडिसन को उसकी माता ने एसे मुर्खतापूर्ण प्रयोग न करने की हिदायत दी |

एक बार वह मुर्गी-पालन केंद्र पर गया | वहॉ उसने एक मुर्गी देखी | वह अपने अंडो पर बैठी थी | उसने अपनी माता से उस विषय मे पुछा और उसकी माता ने उत्तर दिया,” यह मुर्गी अपने अन्डो को से रही है | कुछ समय बाद अंडो से बच्चे निकल आयेगे|” बालक एडिसन ने यह विचार किया,” मै अंडे क्यो नही से सकता हू?” दूसरे दिन सुबह उसने एक दर्जन अंडे लिये और उनके उपर बैठ गया | कुछ समय बाद वह उनके उपर से उठ गया, किंतु उसे एक भी मुर्गी का बच्चा नही मिला | उसने केवल अंडे तोड डाले थे और आपना नैकर खराब कर लिया था | उस दिन उसकी माता ने उसकी बहुत पिटाई की |

क्या वह वास्तव मे अनोखा बालक नही था? वह उन सभी प्रयोगो मे असफल हो गया था लेकिन इन सभी से उसने कुछ सिखा भी था कि उसके विचार गलत है | उसे पुस्तक पढने का शोक था और उसने बहुत सी पुस्तके पढी भी थी | उसके पिता प्रत्येक ऐसी पुस्तक के लिये, जो उसने पढी थी, 25 सेंट देते थे | उसने बहुत पुस्तक पढी और जो जेब खर्च उसे मिलता था, उनसे उसने और पुस्तके खरीदी और एक छोटी सी प्रयोगशाला बनाई | उसकी माता उसे उत्साहित करती रहती थी और उसके प्रयोगो मे उसकी सहायता करती थी |

कुछ समय बाद एडिसन ने अनुभव किया कि उसे अपने प्रयोगो को जारी रखने के लिये उसे और अधिक धन की आवश्यकता है | उसे और पुस्तको की आवश्यकता थी क्योकि जितनी पुस्तके घर पर थी उन्हे वह पड चुका था | वह बाहर जाना चाहता था तथा नए स्थान देखना चाहता था और नये लोगो से मिलना चाहता था | वह नई पुस्तके पडना चाहता था और अपने ज्ञान को बढाना चाहता था | अतः उसने रेलवे मे नोकरी करने का निश्चय किया | पहले उसके माता-पिता को उसका यह विचार पसन्द नही आया, क्योकि उस समय वह केवल 12 वर्ष का था | किंतु जब उसने अपने कार्य के बारे मे अच्छे तर्क दिये तो वे सह्मत हो गये | अतः एडिसन समाचार-पत्र बेचने वाला लडका बन गया और डेट्रोयट नगर जाने वाली रेलगाडी से आने-जाने की यात्रा करने लगा | उसने समाचार-पत्र, मिठाइया और फल बेचे और पहले ही दिन 2 डॉलर कमाये | डिनर के समय उसने अपनी माता से कहा, “मा वह डॉलर लीजिए | जो कुछ मै कमाउगा, उसमे से प्रत्येक डॉलर आपको दूंगा |” और अपने इस वचन का पालन किया |

एक या दो वर्ष बाद एडिसन से अपना समाचार-पत्र निकालने का निश्चय किया | उसने पुराने छापेखाने (प्रेस) खरीदा और रेलगाडी के अपने डिब्बे मे इसे लगा दिया | उसने समाचार पत्र का सम्पादन किया और उसे छापा | बहुत सी प्रतिया बेची और अधिक रुपया कमाया | जो धन उसे प्राप्त हुआ, उससे उसने अपने रेल के डिब्बे मे एक छोटी सी प्रयोगशाला बना ली |

जब वह 15 वर्ष का था, तब एक ऐसी दुर्घटना हुई जिसने उसकी जीवन-वृत्ति को प्रभावित किया | जब प्रयोगशाला मे एक प्रयोग कर रहा था, तब रेलगाडी एक कोने पर मुडी | अचानक झटका लगा और फॉस्फोरस का एक टुकडा उसके डिब्बे के फर्श पर गिर गया और उसने आग पकड ली | इससे पूर्व की वह आग बुझा सकता, आग समाचार-पत्रो मे लग गयी | आग फैल गयी और एडिसन सहायता के लिये चिल्लाया | रेलगाडी का गार्ड वहा आया और दोनो ने मिलकर आग बुझा दी, किंतु यह रेलगाडी मे एडिसन की नौकरी का अंत था | अगले स्टेशन पर ही वह नौकरी से निकाल दिया गया |

अगले 5 वर्ष एडिसन ने विभिन्न नगरो मे काम किया | उसने पुस्कालयो का अच्छा लाभ उठाया और कारखानो तथा कार्यशालाओ के विशेषज्ञो से भेंट की | उसने उनसे प्रश्न किये, उसने बहुत कुछ सिखा तथा अपने प्रयोगो पर और अधिक परिश्रम किया |

इस अवधि मे वह कुछ समय के लिये बेकार रहा और अपने मित्र के पास ठहरा हुआ था | वह नवयुवक (उसका मित्र) उस समय एक कम्पनी मे कार्य कर रहा था | उस कम्पनी मे एक मह्त्त्वपूर्ण मशीन थी | एक दिन वह मशीन एकाएक रुक गयी | उस समय एडिसन भी वही पर था | उसने मशीन पर एक नजर डाली और बहुत ही कम समय मे मशीन की मरम्मत कर डाली | कम्पनी के प्रबंध को एडिसन अच्छा लगा और उसने उसे एक अच्छा कार्य दे दिया | एडिसन ने अपने ऋणो को चुका दिया और अपनी प्रयोगशाला मे सुधार किए |

अगले 6 वर्षो मे एडिसन ने बहुत से आविष्कार किये | शीघ्रता से एक के बाद एक आविष्कार हुआ और एडिसन ने और अधिक ख्याति तथा धन अर्जित किया | 1877 मे वह एक ऐसी मशीन पर कार्य कर रहा था जो मनुष्य की आवज को पुनः सुन सकती थी | अगले वर्ष उसने वास्तव मे उसने ऐसी मशीन बना डाली | उस समय उस मशीन को बात करने वाली मशीन के नाम से पुकारा जाता था | अब हम इससे ग्रामोफोन कहते है | उसी वर्ष उसे वांशिगटन मे व्हाइट हाउस मे आमन्त्रित किया गया | यह एक आवास का नाम है, जहा संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति निवास करते है | एडिसन वहा राष्ट्रपति को अपनी मशीन दिखाने के लिये गया | इससे वह अमेरिका भर मे प्रसिद्ध हो गया | अब वह सफल व धनी हो चुका था | वह सब उसकी माता की सहायता और प्रोत्साहन तथा कठिन परिश्रम के कारण था |

मार्च 1878 मे उसने बिजली के लैम्प पर कार्य किया | उन दिनो लोग मोमबत्ती तथा तेल के लैम्पो का प्रयोग कर रहे थे | उनके पास बिजली की रोशनी नही थी | एडिसन ने उन्हे दो वर्षो मे मे बिजली की रोशनी देने का वचन दिया | जब उसने यह कहा तो सभी वैज्ञानिको ने उसका मजाक उडाया | उन्होने कहा की यह असम्भव है, किंतु एडिसन बिल्कुल भी चिंतित नही हुआ | उसने और कठिन परिश्रम शुरु कर दिया | उसने लगभग 1000 प्रयोग किये किंतु वे सभी असफल रहे | किंतु उसने उम्मीद नही छोडी | उसने अपने मन मे कहा,”लोगो को दिये हुये वचन को मुझे अवश्य पूरा करना किया | उसने और अधिक परिश्रम किया | वह समय के विपरीत दौड रहा था | अंत मे वह लगभग 1200 प्रयोग करने के पश्चात वह बिजली का के बल्ब का आविष्कार करने मे सफल हो गया | 1880 मे नए वर्ष के दिन उसने और उसके कार्यकर्ताओ ने अपनी प्रयोग्शाला मे बिजली का प्रकाश कर दिया | उस शानदार दृश्य को देखने के लिये अमेरिका के अनेक भागो से लोग आये थे | एडिसन ने लोगो को दिये हुए वचन को पूरा कर दिखाया था | सितम्बर 4, 1882 को न्यूयॉर्क नगर पहली बार बिजली के प्रकाश से जगमगाया |

प्रथम विश्व-युद्ध के समय एडिसन ने अपने देश की सेवा की | उसने 40 आविष्कार युद्ध के समय किये और उसे उसकी सेवा के लिये एक पदक प्रदान किया गया | 1929 मे बल्ब के आविष्कार की रजत जयंती के भव्य रुप मे मनाई गयी संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने बडे उत्सव मे एडिसन का स्वागत और सम्मान किया | राष्ट्रपति को धन्यवाद देने के लिये एडिसन खडा हुआ किंतु एकाएक बीमार हो गया | उसकी बीमारी गम्भीर होती गयी और 18 अक्टूबर,1931 को रविवार के दिन सुबह से समय उसकी मृत्यु हो गयी | इस प्रकार एक ऐसे व्यक्ति के महान और सहासिक जीवन का अंत हो गया, जिसने मानव-जीवन को धनी और सुख सम्पन्न बनाया था | उसने एक बार कहा था,”मै ऐसा कोई आविष्कार नही करुगा जो जीवन नष्ट करे |  मै लोगो को सुखी बनाना चाहता हू | उसने वह भी कहा था,”संसार बहुत समय से अंधकार मे रहा है | मै संसार को अत्यधिक प्रसन्न्ता और अधिक प्रकाश देना चाहता हू |” उसने अपने वचन का पालन भी किया | उसके ग्रामोफोन ने हमे अत्यधिक प्रसन्नता प्रदान की है और उसके बिजली के लैम्प ने हमे अधिक प्रकाश दिया है |

आज हमारे देश और विश्व को एडिसन जैसे व्यक्तियो की और अधिक आवश्यकता है | प्रत्येक बालक और बालिका को उसके ज्व्लंत उदाहरण का अनुसरण करना चाहिए |

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