Pratibimb Ek Kavita

9:33 AM

pratibimb ek kavita sachkagyan



आंशु अकसर बने एक दिन,

गढी गयी पिरा की आशा |

अपना अगर कह दिया किसी ने,

और बढी जीने की आशा |

बनी गंध फुलो की वाणी,

मधुर हो गयी प्रेम कहानी |

तब से मन दर्पन मे आकर,

ठहर गया प्रतिबिम्ब तुम्हारा |

 

By Sonika Patel

She Likes Writing, cooking and hearing songs.

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