बचपन मे कभी जब,
मां सुलाया करती थी,
रात मे जब नींद ना आती,
लोरी सुनाया करती थी |
छोटी छोटी मेरी आंखो मे,
काजल लगाया करती थी,
कभी जब रुठ जाता मै,
प्यार से मनाया करती थी |
रात मे जब नींद ना आती,
लोरी सुनाया करती थी |
छोटी छोटी मेरी आंखो मे,
काजल लगाया करती थी,
कभी जब रुठ जाता मै,
प्यार से मनाया करती थी |
जब करता था गलती मै ,
प्यार से समझाती थी,
जब मारता कभी चींटी मै,
अहिंसा परमो धर्म बताती थी |
होता जब मै बीमार कभी
तो सारी रात न सोती थी,
हाय मेरे बच्चे को नजर लग गई कहकर
नजर उतारा करती थी |
हाय मेरे बच्चे को नजर लग गई कहकर
नजर उतारा करती थी |
डांटते जब पापा मुझे ,
उनसे झगडा करती थी,
मंदिर , मस्जिद और गिरिजो मे,
मन्नत मांगा करती थी |
सबसे पहला ज्ञान का अंतर,
मा ने मुझे सिखाया था,
सच्चाई का कठिन रास्ता,
उसी ने मुझे दिखाया था |
जब मै स्कूल न जाता,
डांटती थी फटकारती थी,
ना हो जाऊ औझल जब तक आंखो से,
दरवाजे से निहारती थी |
मेरा भारत सबसे महान ,
मां ने मुझे बताया था,
भारत माता का प्रेमी भी,
उसी ने मुझे बनाया था |
जब दूर कही मे जाता तो,
बेटा बेटा बुलाती थी|
जब दूर कही वो जाती तो,
उसकी याद रुलाती थी |
आते है याद जब वो दिन ,
तो रुह भी मुस्कुराती है,
मां का इतना प्यार देखकर ,
आंखे भी भर आती है |
तरुन धीमान
(Web Developer)
Tarun Dhiman is a web developer in Digishopper.
He like Singing, Dancing, Acting.
Thanks Tarun Dhiman For Sharing this great Poem.
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