कितना बदल गया इंसान / How Man Are Changed in Hindi
9:00 AMकितना बदल गया इंसान
पेड के नीचे पडा उपेषित पत्थर अपने नसीब पर आंसू बहा रहा था | सोच रहा था, कैसा व्यर्थ जीवन है मेरा | न मै किसी के काम आ पा रहा हु , न ही किसी को दिलासा दे पा रहा हू और न किसी के आंसू पोछ पाता हू | जो भी मुझसे ठोकर खाता है , मुझे गुस्से से कोसता आगे बढ जाता है |
गर्मी की भरी दोपहरी थी | गुलमोहर के लाल-लाल फूल झरकर कभी जमीन पर गिरते , कभी उस पत्थर पर | उन फूलो का कोमल स्वयं स्पर्श पा पत्थर अंनदित हो उठा | उसने स्वयं अपना रूप देखा तो अचम्भित हो उठा | अब वह लाल फूलो मे लिपता एक सुंदर आकार का लग रहा था |
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तभी वहा खेल रहे कुछ बालको ने खेल-खेल मे एक छोटा चबुतरा बना , उस पत्थर को चबुतरे पर स्थपित कर दिया | एक दिन गुलमोहर के थोडे ही फूल झरे और पत्थर कही से लाल और कही से काला नजर आने लगा | बच्चो को कुछ अधूरापन लगा तो उन्होने उस पत्थर को सिन्दूर दे रंग दिया |
तभी शाम को मंदिर मे दीया जलाने जा रही महिला ने एक दीया उस पत्थर के पास भी रख दिया | अब उस पत्थर ने भग्वान का रूप ले लिया था | लोग आते-जाते अपना सिर झुकाते और आगे बढ जाते | कुछ लोगो की मन्नते भी पूरी हुई | वे नियमित रूप से फुल चढाने लगे |
धीरे-धीरे गाव के अधिकांश लोगो की आस्था इस पर बढने लगी | थोडे हि समय मे वहा एक मंदिर भी बन गया | एक इंसान कई दिनो से मंदिर आता रहा | बडे भक्ति भाव से वहा हार-फूल चढता , अगरबती जलाता , फिर श्रद्धा भाव से कुछ देर सिर नवाये खडा रहता |
एक दिन आती सम्रधि वह इंसान इसी भगवान की देन समझ रहा था | आज फिर वह इंसान मंदिर आया , भक्ति भाव से पूजा की , बडी देर तक सिर नवाने के बाद वह मंदिर से बाहर आ गया | समीप खडी कार के पास वह जाने लगा तभी एक व्रद्धा लाठी टेकता उसके पास आयी और कातर भाव से बोली -'बेटा जरा मुझे
सडक पार करा दो, मेरा संतुलन कभी-कभी बिगड जाता है | ' इंसान ने व्रद्धा की और देखा लेकिन अनसुनी कर कार का दरवाजा खोलने लगा | व्रद्धा ने धीरे से उसकी बाह पकडकर कहा -"बेटा जरा सुनो, मुझे सडक पार करा दो |" इंसान ने बाह को झटका दिया | व्रद्धा नीचे गिर गयी |
इंसान तो अंदेखा कर कार मे बेठा वहा से चला गया | लेकिन कुछ बच्चो ने मिलकर व्रद्धा को सडक पर करा दी | एक समय साधारन , उपेक्शित पत्थर रहे भगवान विस्फारित नेत्रो से वह ह्रदयविदारक घटना देख थे | वे आश्चार्य से सोचने लगे , प्रक्रति की यह कैसी अनोखी माया है, जो पत्थर था
वह मंदिर मे आकर भगवान बन गया और इंसान मंदिर से बाहर निकलते ही पत्थर बन गया |
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2 comments
Bahut hi sundar aur real story hai....baad vali lines to dil ko chu gayi....vehtareen article.....
ReplyDeleteThnx Dear Amul Sharma. aajkal insaan ese hi karta hai. manavta naam ki koi chij hi nhi hai.
ReplyDeleteShayad ish kahani se unhe kuch samajh aaye